प्रसिद्ध तितली पर कविता | Titli Poem in Hindi

तितली पर कविता बच्चो को सबसे प्यारी है. क्योंकि, तितली सभी जगह पाई जाती है और इसकी खूबसूरती सभी को अपने तरफ आकर्षित करती है. इसलिए, तितली पर कविता इन हिंदी में उपलब्ध कराया गया है. जिसे देश के प्रसिद्ध रचनाकारों ने अपने खुबसूरत शब्दों से नवाजा है.

हिंदी तितली पर कविताएँ पुराने काल से ही एक मनोरंजन का माध्यम माना जाता है. क्योकि, पढ़ाई में कविता का एक महान भागीदारी होती है. अकादमिक परीक्षा में कविता से अक्शर प्रश्न पूछे जाते है. जैसे कविता के लेखक का नाम लिखे, दिए गए कविता का अर्थ समझाए आदि. इसलिए हिंदी कविता का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.

निचे तितली रानी पर प्रसिद्धि कविता दिया गया है जो महान रचनाकारों द्वारा सजाया गया है, उम्मीद करता हु ये कविताएँ आप सभी पसंद आएगा. क्योंकि, तितली रानी कविता सबसे बड़ी मनोरंजक एवं आकर्षण का केंद्र है.

तितली रानी फेमस कबिता

अब क्यों आई तितली रानी ।
जब वर्षा ले आई पानी ।।
गर्मी भर तुम कहाँ छिपी थी ।
लेकर अपने पंखे धानी? ।।

गर्मी को पड़ती मुँह खानी।
देख तुम्हारे पंखे धानी ।।
इतनी बात समझ न पाई ।
बनती हो तुम बड़ी सयानी।।

तुम भी करती हो मनमानी ।
पर अब न करना नादानी ।।
गर्मी की परवाह न करना ।
तुम्हें पिलाऊँ जी भर पानी।

फेमस तितली पर कविता

रंग बिरंगी प्यारी तितली
सबके मन को भाती तितली।
इस बगिया से उस बगिया में
उड़कर धूम मचाती तितली।।

कभी फूल का रस पीती तितली
कभी दूर उड़ जाती तितली।
कभी बैठ ऊंची डाली पर
अपने पंख नचाती तितली।।

रामू जीकेश गीता सीता
सबका मन भूलाती तितली।
पर जैसे ही हाथ बढ़ाते
झट से वह उड़ जाती तितली।।

बच्चों तितली रानी उड़ कर
देती है तुम को यह संदेश।
तोड़ बेड़िया शंख बजाओ
जिससे जागे भारत देश।।

अलबेली तितली की कविता

तितली रानी उड़ी
पर उड़ ना सकी।
बस में चढ़ी
सीट ना मिली।।

ड्राइवर बोला
आजा मेरे पास।
तितली बोली
चल हट बदमास।।

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प्रेमचन्द गांधी की जुबानी तितली की कहानी

न जाने वह कौनसा भय था
जिससे घबराकर वह बेहद खूबसूरत तितली।
तालाब के पानी में गिर पड़ी
भीगे पंखों से उसने उड़ने की कोशिश की
लेकिन उसकी हल्की कोमल काया।।

पानी पर बस हल्की छपाक-छपाक में ही उलझ गयी
किनारे पर की गंदगी में अनेक जीव थे।
जो उसे खा सकते थे
लेकिन नन्ही तितली की चीख उनके कानों तक नहीं पहुँची।।

तितली ने ईश्वर से प्रार्थना की
ईश्वर ने भविष्य के तानाशाह की आँखों को।
तितली की कारूणिक स्थिति देखने को विवश किया
छटपटाती तितली को देखकर उसका मन पसीज गया।।

उसे तैरना नहीं आता था
फिर भी वह पानी में कूद पड़ा।
बड़े जतन के बाद वह तितली को बचाकर लाया
गुनगुनी धूप में तितली जल्द ही सूखकर उड़ने लगी ।।

भविष्य के तानाशाह के कन्धे पर
वह तमगे की तरह बैठी और बाग़ीचे की तरफ उड़ चल ।
भविष्य के तानाशाह को तितली बहुत पंसद आई
अगले दिन से उसने सफाचट चेहरे पर।।

तितली जैसी सुंदर मूंछें उगानी शुरू कर दीं
उस तितली के उसने बहुत से चित्र बनाये।
उसकी भिनभिनाहट की उसने
कुछ सिम्फनियों से तुलना की।।

जिस दिन तानाशाह की ताजपोशी हुई
तितलियाँ बहुत घबरायीं ।
अचानक वे एक दूसरे राष्ट्र में जा घुसीं
तानाशाह ने तितलियों की तलाश में सेना दौड़ा दी।।


सैनिकों ने तलाशी के लिए
रास्ते भर के फूल।
अपने टोपियों और संगीनों में टाँग लिये
लेकिन तितलियाँ उन्हें नहीं मिलीं।।

तानाशाह ने इस विफलता से घबराकर
तितलियों की छवियाँ तलाश की।
जिन सुंदर पुस्तकों में तितलियाँ
और उनके सपने हो सकते थे।।

वे सब उसने जलवा डालीं
जहाँ कहीं भी तितलियों जैसी।
खूबसूरत ख़्वाबजदा दुनिया हो सकती थी
वे सब नष्ट करवा डालीं।।

अपने आखि़री वक़्त में तानाशाह।
पानी में डूबी तितली की तरह चीखा
लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया।।

जिस बंकर में तानाशाह ने मृत्यु का वरण किया।
उसके बाहर उसी तितली का पहरा था
जिसे तानाशाह ने बचाया था।।

सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध तितली पर कविता

नीली, पीली और चटकीली
पंखों की प्रिय पँखड़ियाँ खोल।
प्रिय तितली! फूल-सी ही फूली
तुम किस सुख में हो रही डोल।।

चाँदी-सा फैला है प्रकाश,
चंचल अंचल-सा मलयानिल।
है दमक रही दोपहरी में
गिरि-घाटी सौ रंगों में खिल।।

तुम मधु की कुसुमित अपसरी-सी
उड़-उड़ फूलों को बरसाती।।
शत इन्द्र चाप रच-रच प्रतिपल
किस मधुर गीत-लय में जाती।।

तुमने यह कुसुम-विहग लिवास
क्या अपने सुख से स्वयं बुना।
छाया-प्रकाश से या जग के
रेशमी परों का रंग चुना।।

क्या बाहर से आया, रंगिणि
उर का यह आतप, यह हुलास।
या फूलों से ली अनिल-कुसुम
तुमने मन के मधु की मिठास।।

चाँदी का चमकीला आतप
हिम-परिमल चंचल मलयानिल।
है दमक रही गिरि की घाटी
शत रत्न-छाय रंगों में खिल।।

इस सुख का स्रोत कहाँ
जो करता निज सौन्दर्य-सृजन।
’वह स्वर्ग छिपा उर के भीतर’
क्या कहती यही, सुमन-चेतन।।

तितली रानी पर प्रसिद्ध कविता

तितली रानी तितली रानी
कितनी प्यारी कितनी सयानी।
रंग बिरंगे पंख सजीले
लाल गुलाबी नीले पीले।।

फूल फूल पर जाती हो
गुनगुन गुनगुन गाती हो।
मीठा मीठा रस पीकर उठ जाती हो
अपने कोमल पंख दिखाती।।

सबकों उनसे सहलाती तितली रानी
कितनी सुंदर तितली रानी।
इस बगिया में आना रानी
तितली रानी तितली रानी।।

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