बेटी पर कविता: बेटी पर कुछ सुंदर कविता

भारतीय संस्कृति में बेटियो का महत्व लक्ष्मी के समान दिया जाता है, जिनका अस्तित्व धन, संपदा, वैभव, कार्य, पूजा, निष्ठा, शर्माना  आदि में निहित होता है. भारत ही एक ऐसा देश है जहां स्त्रियों का सम्मान का अधिकार सर्वप्रथम दिया जाता है, यानी  बेटी का सम्मान सर्वप्रथम है. इसलिए, बेटी पर मार्मिक कविता यानि बेटी पर कुछ सुंदर कविता निचे उपलब्ध है.

बेटी एक ऐसी संपत्ति है जो किसी के घर में पले, तो उसका सौभाग्य बन जाता है. बेटी के वजह से घर में सम्मान, प्रतिष्ठा, संपदा, आचरण, व्यवहार आदि का आगमन निरंतर बना हुआ रहता है. 

समाज बेटियों के स्नेह से बंधा हुआ है. क्योंकि ये लक्ष्मी की ही रूप में निवाश करती है. यहाँ भारत की बेटी पर कविता के माध्यम से कुछ ऐसे शब्दों को बयां कर रहे है. जो बेटियों के बलिदान और कर्तव्यों को उजागर करता है.

भारतवर्ष के महान कवि द्वारा रचित बेटी पर प्रसिद्ध कविता आपके सामने प्रस्तुत है. इनकी आचरण का वर्णन कुछ शब्दों में प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है. जो मन को भावनात्मक बना देता है. उम्मीद है आपको भी पसंद आएगा.

बेटियों पर कविता: बेटी पर कविता हिंदी में

बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।
निश्छल मन के परी का रूप होती हैं।।

कड़कती धुप में शीतल हवाओ की तरह।
वो उदासी के हर दर्द का इलाज़ होती हैं।।

घर की रौनक आंगन में चिड़िया की तरह।
अन्धकार में उजले की खिलखिलाहट होती है।।

सुबह सुबह सूरज की किरण की तरह।
चंचल सुमन मधुर आभा होती हैं।।

कठनायियोंको पार करती हैं असंभव की तरह।
हर प्रश्न का सटीक जवाब होती हैं।।

इन्द्रधनुष के साथ रंगों की तरह।
कभी माँ, कभी बहन, कभी बेटी होती हैं।।

पिता की उलझन साझा कर नासमज की तरह।
पिता की पगड़ी गर्व सम्मान होती हैं।।

बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।
बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।।

Author – सीमा भट्टी

बेटी का प्रश्न – बेटी पर कुछ सुंदर कविता

क्या हूँ मैं, कौन हूँ मैं, यही सवाल करती हूँ मैं।
लड़की हो, लाचार, मजबूर, बेचारी हो, यही जवाब सुनती हूँ मैं।।

बड़ी हुई, जब समाज की रस्मों को पहचाना।
अपने ही सवाल का जवाब, तब मैंने खुद में ही पाया।।

लाचार नही, मजबूर नहीं मैं, एक धधकती चिंगारी हूँ।
छेड़ों मत जल जाओगें, दुर्गा और काली हूँ मैं।।

परिवार का सम्मान, माँ-बाप का अभिमान हूँ मैं।
औरत के सब रुपों में सबसे प्यारा रुप हूँ मैं।।

जिसकों माँ ने बड़े प्यार से हैं पाला।
उस माँ की बेटी हूँ मैं, उस माँ की बेटी हूँ मैं।।

सृष्टि की उत्पत्ति का प्रारंभिक बीज हूँ मैं।
नये-नये रिश्तों को बनाने वाली रीत हूँ मैं।।

रिश्तों को प्यार में बांधने वाली डोर हूँ मैं।
जिसकों हर मुश्किल में संभाला
उस पिता की बेटी हूँ मैं, उस पिता की बेटी हूँ मैं।।

Author – वन्दना शर्मा

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बेटियाँ होती ही है मासूम – मेरी प्यारी बेटी कविता

beti pr kavita

बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती हैं बेटियाँ।
नाजुक सा दिल रखती हैं, मासूम सी होती हैं बेटियाँ।।

बात बात पर रोती हैं, नादान सी होती हैं बेटियाँ।
रहमत से भरभूर खुदा की नेमत हैं बेटियाँ।।

हर घर महक उठता है, जहाँ मुस्कुराती हैं बेटियाँ।
अजीब सी तकलीफ होती हैं, जब दूर जाती हैं बेटियाँ।।

घर लगता है सूना – सूना पल – पल याद आती हैं बेटियाँ।
खुशी की झलक और हर बाबुल की लाड़ली होती हैं बेटियाँ।।

ये हम नहीं कहते ये तो रब कहता है।
कि जब मैं खुश रहता हूँ जो जन्म लेती हैं बेटियाँ ।।

Author – Unknown

बेटी का सम्मान कविता – बेटी पर मार्मिक कविता

पूजे कई देवता मैंने तब तुमको था पाया ।
क्यों कहते हो बेटी को धन है पराया ।।

यह तो है माँ की ममता की है छाया ।
जो नारी के मन आत्मा व शारीर में है समाया ।।

मैं पूछती हू उन हत्यारे लोगों से ।
क्यों तुम्हारे मन में यह ज़हर है समाया ।।

बेटी तो है माँ का ही साया ।
क्यों अब तक कोई समझ न पाया ।।

क्या नहीं सुनाई देती तुम्हे उस अजन्मी बेटी की आवाज़ ।
जो कराह रही तुम्हारे ही अंदर बार-बार ।।

मत छीनो उसके जीने का अधिकार ।
आने दो उसको भी जग में लेने दो आकार ।।

भ्रूण हत्या तो ब्रह्महत्या होती है ।
उसकी भी कानूनी सजा होती है ।।

यहाँ नहीं तो वहाँ देना होगा हिसाब ।
जुड़ेगा यह भी तुम्हारे पापों के साथ ।।

अजन्मी बेटी की सुन पुकार ।
माता ने की उसके जीवन की गुहार ।।

तब मिल बैठ सबने किया विचार ।
आने दो बेटी को जीवन में लेकर आकार ।।

तभी ज्योतिषों ने बतलाया ।
बेटी के भाग्य का पिटारा खुलवाया ।।

यह बेटी करेगी परिवार का रक्षण ।
दे दो इस बार बेटी के भ्रूण को आरक्षण ।।

Author – सावित्री नौटियाल काल

पापा के आँखों की प्यारी – निधि अग्रवाल

पापा के आँखों की प्यारी।
माँ के प्यार के आँचल में पली।।

जिनसे महक उठे जीवन की बगियाँ।
वह सुंदर फूल होती हैं।।

ये बेटियाँ तो अनमोल होती है।
वैदेही सी पतित पावनी।।

वाणी में सरस्वती का वास।
जिससे घुलती जीवन में मिठास।।

तो कभी माँ लक्ष्मी का स्वरूप होती है।
ये बेटियाँ तो अनमोल होती हैं।।

भाई-बहन के रिश्ते का प्यार।
धरती पर जीवन का आधार।।

जिनसे बसता घर-संसार।
अपनी हँसी से जीवन को।।

चमकाने वाली कोहिनूर होती है।
ये बेटियाँ तो अनमोल होती है।।

Written by- Nidhi Agarwal

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बेटी पर प्रसिद्ध कविताएँ आपको कैसी लगी, कृपया हमें कमेंट के माध्यम से अपना बहुमूल्य विचार दे. आपकी इस कृपा के लिए हम शुक्रगुजार होंगे.

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