मनुष्य के जीवन में सपनों का बहुत महत्व है क्योंकि वह जो सपना देखता है उसी के जैसा अपने जीवन को बनाना चाहता है. सपने कई प्रकार के होते है इन्सान अपने काबिलियत के अनुसार अपने सपनें संयोजते है. डॉ कलाम के अनुसार वो सपने अक्शर पूरा होते है जिसमे विफल होने की संभावनाएं अधिक होती है. क्योंकि, असफलता का डर अन्दर से मजबूती प्रदान करता है कि यदि आप कड़ी श्रम नही करोगे तो अभी तक की गई सभी मेहनत का कोई अहिमयत नही रहेगा.
इसलिए, सपनें आवश्यक है इससे भी अधिक उसे पूरा करना जरुरी है. मुश्किलें तो सिर्फ एक सीढ़ी जो हमें रास्ता दिखाता है किहा इस लक्ष्य को आसान करने के लिए आपको थोड़ी और मेहनत करनी है. Poem on Dreams in Hindi के माध्यम से सपनों को कामयाब बनाने के लिए परिश्रम से न घबराएं, क्योंकि यह कुछ समय के लिए ही होता है जिसका एक मात्र लक्ष्य अपने राही को सही मंजिल पहुँचाना होता है.
सपनों पर कविता का उदेश्य केवल इसका महत्व दर्शाना है कि सपनों के बिना आज तक कोई भी सफल नही हुआ है इसलिए आज से, अभी से आपको सपनें देखने है और उसे पूरा करने के लिए लगन से परिश्रम करना है. क्योंकि डॉ कलाम कहते है “सपनें वो नही होते है जो आप सोने के बाद देखते है, सपने वो होते है जो सोने नही देते है”
अपने पूर्वजों का ध्यान करे, सपनें देखे और प्रातः काल से उसे सच करने के लिए जी जान से मेहनत करे. एक दिन आपके सपनें को सम्मानित किया जाएगा. इतिहास ग्वाह है नाम उसी का हुआ है जो नाम खोने के बाद भी उसे फिर से पाने के लिए लगातार सपने देखे और योजना अनुसार मेहनत किए.
यहाँ सपनों पर प्रसिद्ध कविता दिया है जो भारत वर्ष के महान लेखकों द्वारा रचा गया है. सपनों को पूरा करने का मंत्र इन कविताओं द्वारा प्रदान किया गया है. उम्मीद है आपको पसंद आएगा.
सपनों पर हिंदी कविता जो सपनों को पूरा करने का एक अनोखा प्रेरणा प्रदान करता है
कुछ सपनों को जो पंख दिए।
वो खुले आसमान में उड़ने लगे।।
बादलों की छांव मिले।
तो कभी तारों की महफिल सजी।।
नरम-नरम हवा के पालनों में पलने लगे।
कोरे-कोरे ये सपने रंगों से खेलने लगे।।
सुनहरी धूप की धागों से एक नया जहाँ बुनते हुए।
बिखरे-बिखरे यह सपने अपने-आप में ही सिमटने लगे।।
लम्बी-लम्बी राहों पर नन्हें-नन्हें कुछ कदम।
मासूम यह सपने मंज़िल की तलाश में चल पड़े।।
दीपक की लौ में सूरज की रोशनी नहीं मिली।
तो थककर यह सपने उसी लौ में जलने लगे।।
वक्त आगे निकल गया, सपने पीछे छूट गए।
कुछ ठहर गए, कुछ टूट गए, कुछ खुद पर ही हंसने लगे।।
ज़िन्दगी के दांव में, खुद ज़िन्दगी को हार के।
अब इन अधूरे सपनो के सौदे होने लगे।।
चलते-चलते खो गये, अपनी ही धड़कन से दूर हो गए।
पीछे मुड़े तो दिखा कहानी बनके बिकता अपना ही चहरा।।
फिर भी रुका नहीं सांसों और धड़कनों का यह सुस्त कारवां।
क्यूंकि टिमटिमा रहा था अभी भी एक सपना सितारा बन के।।
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बेहतरीन प्ररक कविता जो जीवन बदल दे
Author – अपर्णा भट्ट
अपने सपने पूरा करो

खुद पर यकीं तुम करके अपने सपने पूरे करो।
जिंदगी में ढेरों खुशियों की तुम महक भरो।।
सच्चाई का रास्ता बमुश्किल, पर देता है बहुत सुकून।
झूठ, फरेब और बेईमानी से तुम हर वक्त डरो।।
हिम्मत के ये पैर तुम्हारे कभी न हो कमजोर।
हौसलों के पंखों से तुम ऊँची उड़ान भरो।।
जुनूँ और जज्बा-जोश हो तो फिर क्या है मुश्किल।
मजबूती से कदम बढ़ाकर ख्वाबों को साकार करो।।
उपलब्धि के शिखर को छूकर दंभ न करना बंदे।
चाहे कितनी मिले सफलता, पाँव जमीं से मत छोड़ो।।
जीवन में कुछ पाया है तो उसे बाँटना तुम सीखो।
कठिन राह में निराश हो रहे लोगों के तुम कष्ट हरो।।
उमंग, उत्साह, संघर्ष का ही नाम है जिंदगी मगर।
काँटों से तुम बचते रहो, मंजिल पर ध्यान धरो।।
Author – Unknown
चल सपने पूरा करे कविता | Hindi Poem on Dreams
अकेले जाते है तारों के साथ।
जिंदगी को थामे, कुछ बिखरे अरमानो के साथ।।
तन्हाई कभी, कभी मेले हाथ आते है।
फिर भी भीड़ में यूहीं तनहा चले जाते है।।
इंतज़ार में सुबह के कभी पलके हो गयी नाम।
कभी थक कर यूँ लगा की सासें हो गयी कम।।
रौशनी राह की हो गयी मद्धम।
घबराया दिल मेरा की कहाँ आ गए हम।।
मुड़ कर देखा तो तनहा थे हम।
कुछ सपने थे और कुछ टूटे सपनो का गम।।
कसमकस ये थी की कहाँ जाएँ हम।
भर चूका था दिल मेरा आसूं पड़ गए थे कम।।
पर देखा किसी कोने में हौसले थे बुलंद।
दफ़न कर हर अहसास को आगे चल पड़े हम।।
दर्द बना मीत मेरा अँधेरे ने रह दिखाई थी।
काली घनेरी रात में एक नई किरण आयी थी।।
हाथ बढ़ा कर देखा मंज़िल थी पास हमारे।
साथ तब भी हम थे और कुछ सपने थे हमारे।।
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मातृत्व पर अभी तक का सर्वश्रेष्ठ कविता
Author – Unknown
सपनों के पंख होते हैं, इनमें चमकीले रंग होते हैं।
कुछ सच्चे होते हैं, कुछ बेरंग भी होते ।।
कुछ ढंग के होते हैं, कुछ बेढंगे भी होते हैं।
सपनों के पंख होते हैं, सपनों के पंख होते हैं,
इनमें चमकीले रंग होते हैं।।
सपने सतरंगे होते हैं, मीठी तरंग लिए होते हैं।
कुछ मनमाने से होते हैं, कुछ बेगाने से होते हैं।।
सपनों के पंख होते हैं, इनमें चमकीले रंग होते हैं।
सपने हंसाते भी हैं, रुलाते भी हैं।।
सपने हंसाते भी हैं, रुलाते भी हैं।
मन में उम्मीदें धुंधला जाएं।।
तो अनायास ही चेहरे पर।
एक चमक सी भी ले आते हैं।।
सपनों के पंख होते हैं, इनमें चमकीले रंग होते हैं।
जब नाउम्मीदी के बादल घिर आएं।।
जब नाउम्मीदी के बादल घिर आएं।
चांदी से चमकते दमकते सपने।।
उम्मीदों के पंख फैलाए, हर पल हौसला बढ़ाते हैं।
सपनों के पंख होते हैं, इनमें चमकीले रंग होते हैं।।
Author – Unknown
बस सपनों से प्यार करो – कविता
और किसी को मत चाहो तुम, बस सपनों से प्यार करो।
सपनों तक जाने वाला हर, कंटक पथ स्वीकार करो।।
भटक-भटककर मत भटको तुम, मतवालों की मस्ती में।
होती हैं बस मधुशालाएं, उन लोगों की बस्ती में।।
मानव मन के जवां हौसले, पर्वत चीर दिया करते हैं।
मिटती नहीं वीरों की हस्ती, मरकर वीर जिया करते हैं।।
कृषक श्रम की बूंदें पाकर, तन धरणी का हरा होता है।
तपकर अगणित चोटें सहकर ही तो स्वर्ण खरा होता है।।
आकाश नापने की खातिर, निज पंखों का विस्तार करो।
सपनों तक जाने वाला हर कंटक पथ स्वीकार करो।।
जुल्फों के घेरे ढंक लेंगे, अंतरमन की चीखों को।
मन की मादकता डस लेगी, जीवन पथ की सीखों को।।
बीच भंवर पतवार को थामो, लहरों में जरा संभलकर।
चलो निरंतर मत बैठो, यूं ही हाथों को मलकर।।
लगन अगर सच्ची हो तो, बन जाते सेतु जल पर।
इतिहास उन्हीं का होता है, जो रखते पांव अनल पर।।
इस जीवन की आपाधापी को, आर करो या पार करो।
सपनों तक जाने वाला हर कंटक पथ स्वीकार करो।।
इक-इक तिनका संघर्षभरा, लगता सुदृढ़ घोंसलों से।
खुद थार हार जाया करता, पथिकों के तंज हौसलों से।।
संतान बचाने को हिरनी भी, सिंहों संग अड़ जाती है।
हो बात आन पर तोपों संग, तलवारें भी लड़ जाती हैं।।
जीवन बनता बाधाओं से, पांवों में चुभती शूलों से।
बस एक ही मौका मिलता है, बच जाना सब भूलों से।।
मन में नव हिन्दुस्तान लिए बल पौरुष का संचार करो।
सपनों तक जाने वाला हर कंटक पथ स्वीकार करो।।
Author – प्रह्लाद सिंह
सपनों की उड़ान कविता – हरिवंश रॉय बच्चन
और छाती बज्र करके, सत्य तीखा।
आज वह, स्वीकार मैंने कर लिया है।।
स्वप्न मेरे, ध्वस्त सारे हो गए हैं।
किंतु इस गतिवान जीवन का, यही तो बस नहीं है.
अभी तो चलना बहुत है, बहुत सहना, देखना है।।
अगर मिट्टी से, बने ये स्वप्न होते।
टूट मिट्टी में मिले होते, ह्रदय में शांत रखता।।
मृत्तिका की सर्जना-संजीवनी में, है बहुत विश्वास मुझको.
वह नहीं बेकार होकर बैठती है, एक पल को, फिर उठेगी।।
अगर फूलों से, बने ये स्वप्न होते।
तो मुरझाकर, धरा पर बिखर जाते।।
कवि-सहज भोलेपन पर, मुसकराता, किंतु।
चित्त को शांत रखता, हर सुमन में बीज है,
हर बीज में है बन सुमन का, क्या हुआ जो आज सूखा,
फिर उगेगा, फिर खिलेगा।।
अगर कंचन के, बने ये स्वप्न होते।
टूटते या विकृत होते, किसलिए पछताव होता।।
स्वर्ण अपने तत्व का, इतना धनी है।
वक्त के धक्के, समय की छेड़खानी से।।
नहीं कुछ भी कभी उसका बिगड़ता।
स्वयं उसको आग में, मैं झोंक देता,
फिर तपाता, फिर गलाता, ढालता फिर।।
किंतु इसको क्या करूँ मैं, स्वप्न मेरे काँच के थे।
एक स्वर्गिक आँच ने, उनको ढला था।।
एक जादू ने सवारा था, रँगा था, कल्पना किरणावली में।
वे जगर-मगर हुए थे, टूटने के वास्ते थे ही नहीं वे।।
किंतु टूटे, तो निगलना ही पड़ेगा।
आँख को यह, क्षुर-सुतीक्ष्ण यथार्थ दारुण।।
कुछ नहीं इनका बनेगा, पाँव इन पर धार बढ़ना ही पड़ेगा।
घाव-रक्तस्त्राव सहते, वज्र छाती पर धंसा लो,
पाँव में बांधा ना जाता, धैर्य मानव का चलेगा
लड़खड़ाता, लड़खड़ाता, लड़खड़ाता।।
Author- हरिवंश रॉय बच्चन
अंतिम शब्द
सपनें देखना कोई जुर्म नही, लेकिन सपनें देखने के बाद उसे पूरा करने का हौसला न रखना ये किसी जुर्म से कम नही. दुनियाँ में ऐसे बहुत लोग है जो केवल सोने के लिए सपने देखते है उसे असल जीवन में सम्मान नही देते है.
पर ध्यान रहे जीवन में महारत हासिल करने का मौका सिर्फ सपने ही देते है इसलिए उठिए और उसे पूरा कीजिए. सपनों पर कविता यानि Poem on Dreams in Hindi आपको कैसी लगी आप हमें कमेंट करके अपना कीमती विचार दे.

मैं दिशा शर्मा Focusonlearn.com पर हिंदी कंटेंट राइटर हूँ. मुझे सरकारी योजना, कोर्स एवं स्कालरशिप पर हिंदी में पोस्ट लिखना पसंद है. इस प्लेटफार्म के माध्यम से शिक्षा एवं सरकारी योजना से सम्बंधित जानकारी और स्टेप आपको प्रदान किया जाएगा, जिसका उपयोग दैनिक जीवन में कर सकते है.