पिता पर कविता: पिता के सम्मान में पिता पर 4 पंक्तियां

पिता पर कविता के माध्यम से पिता का अस्तित्व आकाशगंगा के समान ऊंचा एवं प्रभावशाली बताया गया है. जिसका प्रेम अपने संतान के प्रति निस्वार्थ होता है. एक पिता ही हैं जो अपने संतान के वर्चस्व को कायम रखने के लिए दुनिया के असंभव संसाधन को भी उपलब्ध कराते हैं.

पिता ब्रह्माण्ड के बहुमूल्य रत्न है जिनकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है. सिर्फ इनकी इच्छाओ, प्रेम, विश्वास एवं एक सफल व्यक्ति बनाने का निर्णय का गुणगान किया जा सकता है. और ऐसा निर्णय सिर्फ वही व्यक्ति ले सकता है जो अपने संतान के प्रति प्रबल स्नेह रखता है. उसे पिता के नाम से संबोधित किया जाता है.

 अखंड भारत के महान कविओ द्वारा रचित पिता पर 4 पंक्तियां आपके सामने प्रस्तुत है. जो पिता के महत्व का गुणगान करता है और दर्शाता है कि संसार में सिर्फ वही है जो अपने संतान के लिए विश्व के असंभव कार्य को भी सरलता से कर सकते हैं.

पिता पर मार्मिक कविता के साथ पिता का महत्व कविता के माध्यम से पापा के सभी प्रयासों को उजागर किया गया है. जो दुख और कठिनाइयों को सहकर भी हमें खुश रहता है.

पिता पर छोटी सी कविता

पिता का साथ तो हर काम में निहित है।
आशीष से जिनके ना होता कभी अहित है।।

अरमानों को रख परे निभाते है हर रीत है।
जिनकी दुआओं से होती मुकम्मल हर जीत है।।

परिश्रम के बाद भी जो ना होते शिथिल है।
अपनों के लिए जो हमेशा बने रहते नीर है।।

संस्कारों और अनुशासन का जो रोपते ऐसा बीज है।
अपनों की खुशी के लिए रहते वो तत्पर नित है।।

उनकी सेवा ही कर्म और आशीष ही ताबीर है।
जीवन पथ पर चलने का सिखाते जो सलीका,
उनसे ही तो अविरल चलते रहना सीखा।।

Author – यश शर्मा

अवश्य पढ़े,

बेटियों पर प्यारी कविताएँ

शिक्षा पर हिंदी कविताएँ

पृथ्वी पर लोकप्रिय कविताएँ

स्वाभिमान है पिता – अरविंद सक्सेना

पिता पर मार्मिक कविता:

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।।

अगर जन्म दिया है माँ ने।
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता।।

कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता।
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता।।

माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है।
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता।।

कभी रोटी तो कभी पानी है पिता।
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता।।

कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता।
माँ अगर है मासूम सी लोरी।।

तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता।
कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता।।

कभी मौन तो कभी भाषण है पिता।
माँ अगर घर में रसोई है।।

तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता।
कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता।।

कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता।
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने।।

तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता।
कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता।।

कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता।
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता।।

Author – अरविंद सक्सेना

पिता एक उम्मीद है – कविता

पिता एक उम्मीद है एक आस है।
परिवार की हिम्मत और विश्वास है।।

बाहर से सख्त और अंदर से नरम है।
उसके दिल में दफन कई मरम है।।

पिता संघर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार है।
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है।।

बचपन में खुश करने वाला बिछौना है।
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है।।

सबको बराबर का हक़ दिलाता एक महारथी है।
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है।।

इसी में तो माँ और बच्चों की पहचान है।
पिता जमीर है, पिता जागीर है।।

जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है।
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर हैं।।

Author – Unknown

पिता पर कविता जो मन को भावुक कर दे

Famous Poem on Father in Hindi

माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते है।
माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास सयंम होता है।।

दोनों समय का भोजन माँ बनाती है।
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाला पिता होता है।।

कभी चोट लगे तो मुँह से “माँ” निकलता है।
रास्ता पार करते वक्त कोई पास आकर ब्रैक लगाये तो “बाप” रे ही निकलता है।।

क्योकि छोटे-छोटे संकट के लिए माँ याद आती है।
मगर बड़े संकट के वक्त पिता याद आता है।।

पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल छाव में।
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता हैं।।

Author – Unknown

इसे भी पढ़े,

मेरी माँ पर कविता

प्रेरणादायक प्रसिद्ध कविता

 तितली रानी पर कविताएँ

निधि अग्रवाल का पिता पर कविता

जिम्मेदारियों के तले एक पिता।
पूरा जीवन गुजार देता है।।

स्वयं कठिनाईयों को सहकर।
अपनी संतान का जीवन संवार देता है।।

अपनी संतान का स्वप्न पूरा करने को।
स्वयं की इच्छाओं त्याग देता है।।

करके कठिन परिश्रम वो।
नई आंखों को ख़्वाब देता है।।

कभी हार नही मानता वो।
किस्मत से भी लड़ जाता है।।

अपनी संतान के लिए वो।
ख़ुशियों का घरौंदा सजाता है।।

अपनों की ख़ुशियों के लिए।
अपने आँसुओं को पी जाता है।।

देखकर अपनी संतान की खुशियाँ।
जैसे वो जीवन का सारा सुख पा जाता है।।

पिता वो रिश्तों का दरियाँ है।
जिसमें सारा समंदर समा जाता है।।

Author – निधि अग्रवाल

पिता से ही हमारा सम्पूर्ण जीवन उज्वलित होता है. ऐसे पिता के सम्मान में पिता पर कविता पेश है. और उम्मीद है कि आपको Poem on Father in Hindi पसंद आएगा. यदि आपके पास भी पिता पर कविता या पिता पर 4 पंक्तियां है, तो निसंदेह हमें कमेंट करे. धन्यवाद !!!

Leave a Comment