6 जीवन पर कविताएँ: Poems On Life In Hindi

भारतीय रचनाकारों द्वारा परिभाषित जीवन का उदेश्य और अर्थ भिन्न-भिन्न है जिसका अध्ययन करने के उपरांत ज्ञात होता है कि जीवन एक चक्र है जो संघर्ष के माध्यम से दिनप्रतिदिन गुरता रहता है. अतः विद्वानों द्वारा रचित जीवन पर कविता इसका प्रमाण है जो हमें ज्ञात कराता है कि जीवन केवल संघर्ष से ही परिवर्तित किया जा सकता है.

कठिन जीवन पर कविता का उदेश्य आपको वैसे तथ्यों से रूबरू कराना है, जिसका सामना करने से प्रत्येक व्यक्ति परेशान हो जाता है. कवी अपने कविता यानि जीवन पर कविता के माध्यम से ऐसे सभी परेशानीयों का हल अपने अनुभव से उसमे अंकित किए है जिसे स्मरण कर मुश्किलों को सरल बनाया जा सकता है.

कवियों के अनुसार जीवन को सरल और ऊर्जावान बनाने के लिए खुद से संघर्ष करना पड़ता है जिसे उन्होंने अपने अनुभव से जीवन कविता के माध्यम से अपना विचार प्रस्तुत किए है जो वाकई महान कार्य करने के लिए प्रेरित करता है. उम्मीद करता हूँ हमारे रचनाकारों द्वारा रचित खुशहाल जीवन पर कविता आपको पसंद आएगा.

प्रेरक जिंदगी पर हिंदी कविताएं | Poems On Life in Hindi

पता ही नहीं चला – जीवन कविता

साइकिल के पैडल मारते हुए हाँफते थे उस वक्त ।
कब गाड़ियों में घूमने लगे, पता ही नहीं चला।।

हरे भरे पेड़ों से भरे हुए जंगल थे तब ।
कब हुए कंक्रीट के पता ही नहीं चला।।

कभी थे जिम्मेदारी मां बाप की हम ।
कब बच्चों के लिए हुए जिम्मेदार हम पता ही नहीं चला।।

एक दौर था जब दिन में भी बेखबर सो जाते थे ।
कब रातों की नींद उड़ गई पता ही नहीं चला।।

बनेंगे हम भी मां बाप यह सोचकर कटता नहीं था वक्त ।
कब हमारे बच्चे बच्चों वाले हो गए पता ही नहीं चला।।

जिन काले घने बालों पर इतराते थे हम ।
कब उनको रंगना शुरू कर दिया पता ही नहीं चला।।

दर दर भटकते थे नौकरी की खातिर ।
कब रिटायर होने का समय आ गया पता ही नहीं चला।।

बच्चों के लिए कमाने-बचाने में इतने मशगूल हुए हम ।
कब बच्चे हमसे हुए दूर पता ही नहीं चला।।

भरे-पूरे परिवार में सीना चौड़ा रखते थे हम ।
कब परिवार हम दो पर ही सिमट गया पता ही नहीं चला।।

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Author — Unknown

जीवन एक संघर्ष है और संघर्ष से ही जीवन को सुलभ और सुचारू बनाया जा सकता है. इसलिए, उद्देश्य को जीवन पर कविता के माध्यम से तथ्यों को वर्णित किया गया है.

बचपन बीत गया | Poems of Life in Hindi

बचपन बीत गया लड़कपन में ।
जवानी बीत रही घर बनाने में।।

जंगल सी हो गई है जिंदगी ।
हर कोई दौड़ रहा आंधी के गुबार में।।

हर रोज नई भोर होती ।
पर नहीं बदलता जिंदगी का ताना बाना।।

सब कर रहे हैं अपनी मनमानी ।
लेकिन जी नहीं रहे अपनी जिंदगानी।।

कोई पास बुलाए तो डर लगता है ।
कैसी हो गई है यह दुनिया बेईमानी।।

सफर चल रहा है जिंदा हूं कि पता नहीं ।
रोज लड़ रहा हूं चंद सांसे जीने के लिए।।

मिल नहीं रहा है कोई ठिकाना ।
जहां दो पल सिर टिकाऊ।।

ऐसे सो जाऊं की सपनों में खो जाऊं।
बचपन की गलियों में खो जाऊं।।

वो बेर मीठे तोड़ लाऊं ।
सूख गया जो तालाब उसमें फिर से तैर आऊं।।

मां की लोरी फिर से सुन आऊं ।
भूल जाऊं जिंदगी का ये ताना बाना।।

देर सवेर फिर से भोर हो गई ।
रातों की नींद फिर से उड़ गई।।

देखा था जो सपना वो छम से चूर हो गया ।
जिंदगी का सफर फिर से शुरू हो गया।।

आंखों का पानी सूख गया ।
चेहरे का नूर कहीं उड़ सा गया।।

अब जिंदगी से एक ही तमन्ना ।
सो जाऊं फिर से उन सपनों की दुनिया में।।

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जीवन और शतरंज: कविता | Poems For Life in Hindi

जीवन और शतरंज में ।
आता नहीं है ठहराव कहीं भी।।

हारे हुए सिपाही के न रहते हुए भी।
चलते रहते हैं ये अनवरत ही।।

कौन किसे कब मात देगा, ये कहना मुश्किल है।
मगर ये सच है कि बैठे हैं घातिये हर ओर घात लगाकर।।

हर कदम पर सतर्क रहते लड़ना होगा।
यह नियम है, भावनाओं के आवेश में।।

मुश्किल हो जाता है, खेल और भी।
एक हल्की सी चूक पर समर्थ होते हुए भी।।

बजीर पिट जाता है मात्र प्यादे से ही।
होता है आकंलन सही और गलत का।।

खेल की समाप्ति पर हार –जीत ।
यश-अपयश और चलते है दौर मंथन के भी।।

चौकोर शतरंज की विसात पर मरे हुए प्यादे
हाथी, घोड़े पुनः खड़े हो जाते हैं ।।

बाजी ख़त्म होने पर नए खेल के लिए।
किन्तु जीवन-शतरंज की विसात पर।।

नहीं लौटता है कोई भी एक बार चले जाने के बाद।
रह जाती है शेष मात्र स्मृतियाँ ही जीवन और शतरंज में
अंतर है मात्र इतना सा ही।।

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Author — मनोज चौहान

जीवन रहस्यमय – कविता | संघर्षमय जीवन पर कविता

किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तेल।
किसकि वर्त्ति, कौन करता, इसका ज्वाला से मेल।।

शून्य काल के पुलिनों पर, जाकर चुपके से मौन।
इसे बहा जाता लहरों में, वह रहस्यमय कौन।।

कुहरे सा धुँधला भविष्य है, है अतीत तम घोर ।
कौन बता देगा जाता यह, किस असीम की ओर।।

पावस की निशि में जुगनू का, ज्यों आलोक-प्रसार।
इस आभा में लगता तम का, और गहन विस्तार।।

इन उत्ताल तरंगों पर सह, झंझा के आघात।
जलना ही रहस्य है बुझना, है नैसर्गिक बात ।।

Author — Unknown

प्रेरक मानव जीवन पर कविता

कैसे गुजारनी है जिंदगी कैसे जीवन बसर करना है।
बेरहम धक्के सब कुछ सिखा देते हैं।।

चाहे कितनी मर्जी ऐशो आराम में गुजरी हो किसी की जिंदगी।
पर तकलीफ के चंद लम्हे ही जालिम जिंदगी की हकीकत बता देते है ।।

गरीब होना सबसे बड़ा अभिशाप है जमीन पर।
ना चाहते हुए भी जो जहर पिला देते है।।

चंद झटके नुकसान के ढाते है सितम बहुत।
जो विशालकाय हाथियों के पैरों को भी हिला देते है ।।

कुछ लम्हे हसीन अगर जिंदगी को मिल जाए।
तो वे बड़े से बड़े गम को भुला देते है।।

मिल जाए अगर मन मांगी दुआ यहां किसी को।
फिर तो सपने, हकीकत में अपनी गोदी में सुला लेते है ।।

अचानक आया हुआ रूपया पैसा, धन दौलत ऐशो आराम।
गरीब से गरीब इंसान पर भी एक अजब सा नशा चढ़ा देते है।।

जब यही गरीब अंधे होते है उसी दौलत की चकाचौंध में।
फिर तो अपने ही अपनों को एक एक पैसे की खातिर यहां रूला देते है ।।

अचानक आई हुई कोई मजबूरी आफत।
पहाड़ जैसे दिल वाले इंसानो की भी सांसे फुला देती है।।

और आता है जब कभी ऊपरवाला अपनी पर।।
तो अच्छे भले स्वस्थ इंसान को भी जमीन से उठा देते है ।।

चंद छोटे छोटे लम्हों से बनी है सबकी जिंदगी।
कुछ पल इंसान को हंसा देते है और अगले ही कुछ पल रूला भी देते है।।

जो ईमानदारी से निभाता है अपना मनुष्य होने का धर्म।
सिर्फ उसी को तकदीर के देवता अच्छा सिला देते है ।।

Author – नीरज रतन बंसल

क्या है ज़िन्दगी | हिंदी जीवन कविता

शून्य में निहारते आसमान को देख कर ।
भूल जाता हूं मैं अपनी परेशानी ।।

तितलियों को फूलों की पंखुड़ियों पर बैठ कर हवाओं के साथ ।
लहराते देख कर भूल जाता हूं सारे तनाव ।।

अविरल बहती नदियों को देख कर ।
भूल जाता हूं सारे अवसाद ।।।

पहाड़ों पर चढ़ कर दूर हरे भरे खेतों को ।
आसमानी निगाहों से देखकर भूल जाता हूं सारे दर्द ।।

झरनों से सरसरा कर नीचे आते पानी को देखकर ।
भूल जाता हूं सारे कुंठा ।।

लहराते सरसौ के खेत में हाथ फैला कर खड़े होकर ।
भूल जाता हूं सारे शिकवे ।।

प्रकृति प्रदत्त वस्तुऐं ऐसे करती हैं मेरा काउंसेलिंग ।
जो एक मनोवैज्ञानिक नहीं कर पाता ।।

प्रकृति प्रदत्त वस्तुऐं इस तरह बढ़ाती है मेरा हौसला ।
बंधाऐं रखती है ढ़ाढ़स ।।

की निरंतर चलना ही है जिंदगी ।
मस्ती में रहना ही है जिंदगी ।।

वर्तमान को जीना ही है जिंदगी ।
सांसे जब तक हो खुश हो कर जीना ही है जिंदगी ।।

Author – किशोर झा

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निषकर्ष

यहाँ अंकित जीवन पर कविता भारतीय रचनाकारों द्वारा रचा गया है जिसमे जीवन का सत्य देखा जा सकता है. यह केवल एक कविता नही है बल्कि जीवन को प्रेणना देने वाली एक शक्ति है जिसे समझने के बाद यह एक अमृत के सामान हो जाता है. यह दुनियां के सबसे प्रसिद्ध कविता है जिसे Poems On Life In Hindi के माध्यम से आपके सामने प्रस्तुत किया गया है.

Note:-
यहाँ उपलब्ध कविताएँ इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त करके आपके सामने प्रस्तुत किया है, इनमे कुछ कविताओं के रचनाकारों के नाम हमें ज्ञात नही है अगर आपको ज्ञात हो, तो हमारे साथ अवश्य शेयर करे.

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