Trikonmiti: त्रिकोणमिति गणित के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण शाखाओं में से एक है, जिसका अध्ययन प्राचीन काल से चलता आ रहा है. समकोण त्रिभुज की यह अवधारणा एक ग्रीक गणितज्ञ हिप्पार्चस द्वारा प्रतिपादित की गई थी. यहाँ एक समकोण त्रिभुज के भुजाओं और कोणों के बीच संबंधों का अध्ययन करना होता है.
त्रिकोणमिति की मूल बातें सामान्यतः तीन प्राथमिक कार्यों को परिभाषित करती हैं जो Sin, Cos और Tan हैं. अर्थात, ऐसे प्रक्रिया जो कोणों एवं भुजाओं के इर्दगिर्द हो, वह त्रिकोणमिति आइडेंटिटी का एक भाग होता है. यहाँ त्रिकोंमिति से सम्बंधित सभी आवश्यक पहलुओं पर विस्तार से वर्णन किया गया है, जो प्रतियोगिता एग्जाम के साथ अकादमिक एग्जाम में भी पूछा जाता है.
त्रिकोंमिति किसे कहते है?
त्रिकोणमि एक ऐसे फलनों का समूह है जिसके अनुपातों की मदद से त्रिभुज के कोणों और भुजाओं को खोजा जाता है. कोणों को रेडियन या डिग्री में मापा जाता है जिसमे डिग्री का मान 0°, 30°, 45°, 60° और 90° के बिच या बराबर होता है.
दुसरें शब्दों में, त्रिकोणमिति किसे कहते है?
गणित की वह शाखा है जिसमें त्रिभुज और त्रिभुजों से बनने वाले बहुभुजों का अध्ययन किया जाता है, उसे त्रिकोणमिति कहते है. सामान्यतः त्रिकोणमिति का शब्दिक अर्थ “त्रिभुज का मापन” अर्थात् त्रिभुज की भुजाओं का मापन होता है.
भारतीय गणितज्ञों द्वारा त्रिकोणमितीय अनुपात Sin, Cos, Tan आदि जैसे मानों का सिद्धांत दिया गया, जिसका मूल उदेश्य त्रिकोणमिति की भूगणित, सर्वेक्षण, आकाशीय यांत्रिकी और नेविगेशन को सरल बनाना था.
सरल शब्दों में, त्रिकोणमिति गणित की वह शाखा है , जिसमे त्रिभुज की तीनों भुजाओं तथा तीनों कोणों का अध्ययन किया जाता हैं.
त्रिकोणमिति का अर्थ
- त्रि ( tri ) = तीन
- कोण ( gon ) = भुजा
- मिति ( metron ) = माप
अर्थात त्रिभुज के तीन कोणों का माप ही त्रिकोणमिति कहलाता है.
त्रिकोणमिति में समकोण त्रिभुज
जिस त्रिभुज का एक कोण समकोण हो, उसे समकोण त्रिभुज कहा जाता है. जिसमे दो कोण न्यूनकोण होते है.
1. कर्ण ( Hypotenuse): समकोण त्रिभुज में समकोण के सामने की भुजा को कर्ण कहते है. अथवा, समकोण त्रिभुज में सबसे बड़ी भुजा को कर्ण कहते है.
2. लम्ब ( Perpendicular ): समकोण त्रिभुज में न्यूनकोण के सामने की भुजा को लम्ब कहते है.
3. आधार ( Base ): समकोण त्रिभुज में न्यूनकोण बनाने वाली भुजा को आधार कहते है.
Note:-
समकोण त्रिभुज में कर्ण स्थिर होता है, लेकिन लम्ब और आधार अपना स्थान बदलते रहते है.
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त्रिकोणमितिय अनुपात (Trigonometry Ratio)
एक समकोण त्रिभुज की तीनों भुजाओं (कर्ण, लम्ब व आधार) की लम्बाई के आपस में अनुपातों को त्रिकोणमितीय अनुपात कहा जाता है. तीन प्रमुख त्रिकोणमितीय अनुपात हैं:
- ज्या (स) = लम्ब/कर्ण
- कोज (स)= आधार/कर्ण
- स्पर (स)= लम्ब/आधार
गणितज्ञों द्वारा त्रिकोणमितिय अनुपात को त्रिकोणमितीय कार्य भी कहा गया है, क्योंकि ये संख्या में 6 होते है. इसके संक्षिप्त रूप पर गहन निष्कर्ष कर इसे प्रतिपादित किया गया है.
फलन (Function) | संकेत (Symbol) |
Sine | Sin |
Tangent | Tan |
Cosine | Cos |
Cotangent | Cot |
Secant | Sec |
Cosecant | Cosec या SCS |
कोण यानि Angle के रूप में प्रयोग की जाने वाली ग्रीक शब्द
- α = अल्फ़ा
- β = बीटा
- γ = गामा
- δ = डेल्टा
- λ = लैम्डा
- Ψ = साई
- Θ = थीटा
- ρ = रो
- Φ = फाई
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त्रिकोणमितिय कोण (Trikonmiti Angle)
गणित में त्रिकोणमितिय कोण की वैल्यू, प्रश्न हल करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है. जिसका एक टेबल बनाना आवश्यक है. आमतौर पर, त्रिकोणमितिय समकोण त्रिभुज में 0°, 30°, 45°, 60° और 90° के मान प्रश्नों में प्रयोग होता है. जिसकी तालिका निचे दिया गया है.
संकेत | 0° | 30° | 45° | 60° | 90° |
Sin θ | 0 | ½ | 1/√2 | √3/2 | 1 |
Cos θ | 1 | √3/2 | 1/√2 | ½ | 0 |
Tan θ | 0 | 1/√3 | 1 | √3 | ∞ |
Cot θ | ∞ | √3 | 1 | 1/√3 | 0 |
Sec θ | 1 | 2/√3 | √2 | 2 | ∞ |
Cosec θ | ∞ | 2 | √2 | 2/√3 | 1 |
समकोण त्रिभुज की भुजाओं से संबंध
Sin θ | लम्ब / कर्ण अर्थात p / h जहाँ p लम्ब और h कर्ण |
Cos θ | आधार / कर्ण अर्थात b / h |
Tan θ | लम्ब / आधार अर्थात p / b |
Cot θ | आधार / लम्ब अर्थात b / p |
Sec θ | कर्ण / आधार अर्थात h / b |
Cosec θ | कर्ण / लम्ब अर्थात h / p |
कुछ महत्वपूर्ण सूत्र
sinθ × Cosecθ = 1
- sinθ = 1 / Cosecθ
- Cosecθ = 1 / sinθ
- Cosθ × Secθ = 1
- Cosθ = 1 / Secθ
- Secθ = 1 / Cosθ
- Tanθ × Cotθ = 1
- Tanθ = 1 / Cotθ
- Cotθ = 1 / Tanθ
- sin²θ + cos²θ = 1
- tan²θ + 1 = sec²θ
- cot²θ + 1 = cosec²θ
अवश्य पढ़े, अलजेब्रा का महत्वपूर्ण फार्मूला
संयुक्त कोण | Compound Angles
- Sin(A+B) = Sin A . Cos B + Cos A . Sin B
- Sin(A-B) = Sin A . Cos B – Cos A . Sin B
- Cos (A+B) = Cos A . Cos B – Sin A . Sin B
- Cos ( A-B ) = Cos A . Cos B + Sin A . Sin B
- Tan ( A + B ) = (Tan A + Tan B) / ( 1 – Tan A . Tan B)
- Cot ( A + B ) = (Cot A . Cot B – 1) / (Cot B + Cot A)
समान्य प्रश्न: FAQs
Q. त्रिकोणमिति का पिता कौन है?
भारत के महान नवरत्नों में से एक, शून्य और दशमलव का महत्व बताने वाले विश्व के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री आर्यभट्ट भारतीय त्रिकोणमिति के जनक या पिता है.
Q. त्रिकोणमिति के कुल कितने सूत्र हैं?
त्रिकोणमिति में प्रमुख 6 फंक्शन Sin, Cos, Tan, Sec, Cosec, और Cot है. और त्रिकोणमिति के सभी सूत्र इन्ही फंक्शन पर आधारित होते है. अर्थात, त्रिकोणमिति में 6 सूत्र है.
Q. सभी त्रिकोणमितीय सूत्र कैसे याद रखें?
सभी त्रिकोणमितिय सूत्र को याद रखने के लिए पहले इसके अनुपात को स्मरण करे. फिर उससे बनने वाले सूत्र के साथ प्रैक्टिस करे. और अंततः इन सभी फोर्मला के साथ प्रश्न हल करे. इस प्रकार सभी त्रिकोणमितिय सूत्र याद रहेंगे.
निष्कर्ष
Trikonmiti का प्रयोग क्लास 10 से सबसे अधिक किया जाता है. हालांकि, विद्यार्थियों को क्लास 8 से ही इसका अध्ययन शुरू किया जाता है. महत्व के दृष्टिकोण से, त्रिकोणमिति गणित की उन शाखाओं में से है जो त्रिभुज की भुजाओं के बीच के संबंधों को उसके कोणों से संबंधित करता है. यहाँ Trikonmiti से समबन्धित आवश्यक जानकरी उपलब्ध कराया गया है. पूरी जानकरी के लिए हमारे साथ बने रहे.