वृत्त की परिभाषा, फार्मूला एवं गुणधर्म: Vrit ki Paribhasha

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ज्यामिति में, वृत्त एक विशेष प्रकार का दीर्घवृत्त है जिसमें उत्केंद्रता शून्य होती है. यूक्लिड अल्गोरिथम के अनुसार, Vrit एक ऐसी आकृति है जो एक रेखा से घिरा हुआ एकविमीय समतल होता है. उस समतल पर निश्चित बिंदु से लेकर उस रेखा तक खींची गई सभी रेखाएं बराबर होती हैं.

अर्थात, एक समतल पर केंद्र से खींचे गए बिंदुओं को वृत्त के रूप में परिभाषित किया जाता है. Vrit के केंद्र से बाहरी रेखा की दूरी त्रिज्या कहलाती है, तथा व्यास वृत्त को दो समान भागों में विभाजित करती है और त्रिज्या के दोगुने के बराबर होती है.

वृत्त का परिभाषा, फार्मूला एवं गुण गणित में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते है जो प्रतियोगिता एवं स्टेट बोर्ड एग्जाम का मुख्य केंद्र होते है. अतः इसके विषय में जानकरी अत्यंत आवश्यक है. ये ऐसा टॉपिक है जो लगभग प्रत्येक क्लास में पढ़ने को मिलता है. इसलिए, सभी आवश्यक जानकरी यहाँ प्रदान किया गया है.

वृत्त की परिभाषा | Definition of Circle in Hindi

वह घिरा हुआ तल, जो एक निश्चित बिंदु से हमेशा समदूरस्थ होता है, वह वृत्त कहलाता है. अर्थात, किसी निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिन्दुपथ, वृत्त कहलाता है.

वह निश्चित बिंदु वृत्त का केंद्र कहलाता है तथा केंद्र और वृत्त की परिमाप के किसी भी बिन्दु के बीच की दूरी त्रिज्या के रूप में परिभाषित होती है. वृत्त का वक्र समतल को दो भागों यानि आतंरिक एवं बाह्य में विभाजित करता है.

वृत्त का फार्मूला | Vrit Formula

  • Vrit का क्षेत्रफल = πr2
  • परिमाप = 2πr
  • अर्द्धवृत्त का क्षेत्रफल = 1/2 πr2
  • परिधि = 1/2 πr
  • त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = πr2  θ / 360

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वृत्त के विभिन्न भाग

एक वृत्त में पदों और उनके गुणों के आधार पर अलग-अलग भाग होते हैं जो विभिन्न प्रकार के अहिमियत रखते है. जिसके विषय में जानना आवश्यक है. सभी महत्वपूर्ण भागों को नियमानुसार नीचें दर्शया गया है.

  • केंद्र
  • त्रिज्या
  • व्यास
  • अर्धवृत्त
  • स्पर्शरेखा
  • चाप
  • जीवा
  • त्रिज्यखंड
  • वृत्तखंड
  • परिधि
  • छेदक

केंद्र | Center of Circle

वह बिंदु जो वृत्त के सभी बिंदुओं से समान दूरी पर स्थिर होता है. अर्थात, वह निश्चित बिंदु जो वृत्त के मध्य स्थिर होता है केंद्र कहलाता है.

वृत्त की त्रिज्या

वृत्त में केंद्र से परिधि तक की दुरी को त्रिज्या कहते है. वृत्त में असंख्य त्रिज्याएँ होती है. सभी की लम्बाई आपस में समान होती है.

Note: Radii को रेडीआय कहते है.

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वृत्त का व्यास

वृत्त की दो बराबर भागों में बांटने वाली रेखाखंड को व्यास कहते है. अर्थात, वृत्त में दो बिंदुओं के बीच की सबसे बड़ी दूरी व्यास कहलाती है. यह वृत्त की सबसे बड़ी जीवा भी होती है जो त्रिज्या की दो गुनी होती है.

अर्धवृत्त | Semi Circle

किसी वृत्त का वह खण्ड, जो चाप तथा व्यास से घिरा हो अर्धवृत्त कहलाता है. दुसरें शब्दों में, एक व्यास के समापन बिंदु द्वारा बनाया गया वह चाप है, जिसका मध्य बिंदु, केंद्र होता है, उसे अर्धवृत कहा जाता है.

स्पर्शरेखा | Tangent

किसी वृत्त के एक बिंदु से गुजरनेवाला रेखा स्पर्श रेखा कहलाती है. अर्थात वह रेखा जो केवल वृत्त के बाह्य बिंदु को स्पर्श करता हो, स्पर्श रेखा कहलाता है.

चाप | Arc of Circle

वृत्त की परिधि के अनुदिश किन्ही दो बिन्दुओं को मिलनेवाली बक्र रेखाखंड को चाप कहते है.

Note: केंद्र, दो चापों को मिलाकर एक पूर्ण वृत्त बनाता है.

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जीवा | Chord of Circle

वृत्त के किसी दो हिस्सों में विभाजित करनेवाली रेखाखंड जीवा कहलाती है. अथवा, Vrit के एक बिंदु से दुसरें बिंदु तक जानेवाली रेखाखंड को जीवा कहते है.

Note: व्यास वृत्त की सबसे बड़ी जीवा होती है.

त्रिज्यखंड | Sector of Circle

वृत्त की दो त्रिज्याओं और सांगत के चाप से घिरे क्षेत्र को त्रिज्यखंड कहते है. त्रिज्यखंड को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है.

  1. लघुत्रिज्यखंड
  2. धिर्घत्रिज्यखंड

Note:
यदि केन्द्रीय कोण न्यूनकोण या अधिककोण हो, तो लघुत्रिज्यखंड बनता है.
केन्द्रीय कोण पुनर्युक्त को हो, तो दीर्घ त्रिज्यखंड बनता है.

वृत्तखंड | Segment of Circle

वृत्त के एक जीवा और सांगत के चाप से घिरा क्षेत्र वृत्तखंड कहलाता है. इसे सामान्यतः दो भागों में बाँटा गया है. जैसे;

  1. लघुवृत्तखंड
  2. धिर्घवृत्तखंड

परिधि

वृत्त को घेरनेवाली बक्ररेखा की लम्बाई परिधि कहलाती है. अर्थात वृत्त के बाहरी घेरे को परिधि कहा जाता है.

छेदक | Secant of Circle

किसी भी वृत्त के दो बिन्दुओं से गुजरनेवाली रेखा छेदक कहलाती है. अर्थात, वह रेखा जो वृत्त के दो अलग-अलग बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती हो वह छेदक कहलाती है.

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वृत्त के गुणधर्म: Properties of Vrit

  • Vrit के एक बिन्दु पर केवल एक ही स्पर्श रेखा होती है.
  • किसी वृत्त की स्पर्श रेखा छेदक रेखा की एक विशिष्ट स्थिति है.
  • वृत्त के अंदर स्थित किसी बिन्दु से जाने वाली रेखा स्पर्श रेखा नहीं होती है.
  • किसी बाह्य बिदु से वृत्त पर केवल दो स्पर्श रेखाएँ खिंची जा सकतीं हैं.
  • व्यास द्वारा परिधि के किसी भी बिंदु पर अंतरित कोण समकोण होता है.
  • जीवा पर केन्द्र से डाला गया लम्ब जीवा को समद्विभाग करती है.
  • केंद्र से होकर जाने वाली जीवा वृत्त की सबसे बड़ी जीवा होती है.
  • किसी वृत्त का व्यास वृत्त को दो सामान भागों में विभाजित करता है.
  • त्रिज्या ब्यास की आधी होती है.
  • किसी वृत्त में त्रिज्याओं की संख्या अनंत होती है.
  • वृत्त का व्यास वृत्त को दो समान भाग में विभाजित करता है, जिसे अर्धवृत्त कहा जाता है.
  • तीन असंरेख बिन्दुओं से केवल और केवल एक वृत्त बनाया जा सकता है.

निष्कर्ष

किसी चाप द्वारा वृत्त की परिधि पर बने सभी आवश्यक कोण एक दुसरें से बराबर होते हैं. तथा वृत्त के केंद्र पर बना वही कोण, शेष परिधि पर बने कोण का दुगुना होता है. इस तरह के सभी आवश्यक बातें ऊपर उपलब्ध कराया गया है जो बेहतर तैयारी में मदद करता है. कम्पटीशन एवं बोर्ड एग्जाम के तैयारी के लिए उपलब्ध सभी जानकरी आवश्यक है. अतः स्मरण रखे.

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