वृत्तखंड एवं त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल और परिभाषा

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गणितीय ज्यामितीय आकृतियों के बीच एक वक्र हमेशा ही एक महत्वपूर्ण आकार रहा है जिससे संबंधित विभिन्न प्रकार के अवधारणाएं और सूत्र उपलब्ध हैं. इसलिए, Trijyakhand and Vritkhand शायद उनमें से सबसे उपयोगी हैं. त्रिज्यखंड एवं वृतखंड का क्षेत्रफल, परिमाप या परिधि का प्रयोग क्लास 10 में अधिक होता है. इसलिए, सभी आवश्यक फार्मूला पर यहाँ ध्यान केंद्रित करेंगे.

किसी दो त्रिज्याओं के साथ वृत्त के चाप से बने विशेष आकृति को त्रिज्यखंड और वृतखंड के रूप में परिभाषित किया जाता है. यह मुख्य रूप से चाप के एक भाग द्वारा निर्मित वृत्त का एक भाग होता है जो वृत्त की त्रिज्या है. इसके सम्बंधित बहुत सारें अवधारणाएं है जो इनकी विशेषताओं को परिभाषित करता है.

त्रिज्यखंड क्या है – Trijyakhand ki Paribhasha

वृत्त का वह भाग है जो दो त्रिज्याओं एवं एक चाप से घिरा हो, वह त्रिज्यखंड कहलाता है. वृत्त के दो त्रिज्या एवं एक चाप से घिरे क्षेत्र को लघु त्रिज्यखंड एवं बड़े भाग को दीर्घ त्रिज्यखंड कहा जाता है.

त्रिज्यखंड को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है. जो इस प्रकार है.

  1. लघु त्रिज्यखंड
  2. दीर्घ त्रिज्यखंड

लघु त्रिज्यखंड: वैसा त्रिज्यखंड जो वृत्त के दो त्रिज्याओं एवं एक लघुचाप से घिरा हो, वह लघुत्रिज्यखंड कहलाता है.

दीर्घ त्रिज्यखंड: वैसा त्रिज्यखंड जो वृत्त के दो त्रिज्याओं एवं एक दीर्घ चाप से घिरा हो, वह दीर्घ त्रिज्यखंड कहलाता है.

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त्रिज्यखंड का फार्मूला | Trijya Khand ka Kshetrafal

वृतीय त्रिज्यखंड का परिमाप = θ / 360 × 2πr

त्रिज्यखंड की चाप की लम्बाई = θ / 360 × 2πr

लघु त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = θ / 360 × πr2

दीर्घ त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल = πr2 – θ / 360 × πr2

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वृतखंड क्या है | Vritkhand ki Paribhasha

वृत्त का वह भाग जो एक जीवा एवं चाप से घिरा हो, तो वह वृत्तखंड कहलाता है. अर्थात, केंद्ररहित एक ऐसा क्षेत्र जो वृत्त की एक जीवा और एक चाप से घिरा हो, ऐसी आकृति को वृत्तखंड के रूप में परिभाषित करते है. सामान्यतः एक जीवा वृत्त को दो वृत्तखंडों में विभाजित करती है.

  1. लघु वृत्तखंड
  2. दीर्घ वृत्तखंड

लघु वृत्तखंड: वृत्त का वह क्षेत्र जो वृत्त के लघु चाप एवं जीवा द्वारा घिरा हुआ हो, वह लघु वृत्तखंड कहलाता है.

दीर्घ वृत्तखंड: वृत्त का वह क्षेत्र जो वृत्त के दीर्घ चाप एवं जीवा द्वारा घिरा हुआ हो, वह दीर्घ वृत्तखंड कहलाता है.

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वृतखंड का फार्मूला

वृतखंड का परिमाप = ( चाप की लम्बाई + जीवा की लम्बाई )

लघु वृत्तखंड का क्षेत्रफल = θ / 360 × πr2 – 1/2 sin2 θ

वृतखंड की चाप की लम्बाई = θ / 360 × 2πr

दीर्घ वृत्तखंड का क्षेत्रफल = πr2 – θ / 360 × πr2 + 1/2 sin2 θ

वृताकार वलय का क्षेत्रफल =  π (R2 – r2)

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महत्वपूर्ण तथ्य

वृत्त के एक ही खंड एक चाप द्वारा बने कोण बराबर होते है तथा किसी चाप द्वारा केंद्र पर बना कोण उसी खंड में परिधि पर बने कोण का दुगुना होता है.

इस प्रक्रिया में, लघुखंड का कोण अधिक कोण एवं दीर्घ खंड का कोण न्यूनकोण होगा. साथ ही अर्द्धवृत्त का कोण समकोण होता है.

ऐसे नियम केवल trijya khand ka kshetrafal में ही लागू होते है. जो फार्मूला को प्रश्न के अनुसार व्यक्त करते है. उम्मीद है टॉपिक एग्जाम एवं मैथ्स टॉपिक के लिए बेहतर सिद्ध होगा.

पूछे जाने वला सामन्य प्रश्न FAQs

Q. त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल कैसे निकाला जाता है?

त्रिज्यखंड का क्षेत्रफल θ/2 * r2 से निकल सकते है.

Q. एक वृत्त में त्रिज्या का मान कितना होता है?

वृत्त के किसी भी बिंदु तक का एक रेखाखंड, जो व्यास का आधा होता है.

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