अपरिमेय संख्या की परिभाषा, गुण एवं उदाहरण – Aparimey Sankhya

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गणितीय नंबर्स संख्या पद्धति के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका प्रयोग अंकगणित के प्रशों को हल करने के लिए किया जाता है. और Aparimey Sankhya वास्तविक संख्या का एक भाग है जिसे परिमेय संख्या के तरह p/q नही लिखा जा सकता है. और न ही इसे भिन्न के रूप में भी लिखा जा सकता है.

इसे प्रमेय के द्वारा भी सिद्ध किया जा चूका है जो अक्शर एग्जाम में पूछा जाता है. विशेषज्ञ मानते है कि इस संख्या की गणना अन्य संख्याओं की तुलना में थोड़ी मुश्किल होती है. इसलिए, अन्य फार्मूला एवं प्रमेय के मदद से इसे हल किया जाता है. यहाँ उन्ही तथ्यों का विवरण दिया गया है जो इसे हल करने में सहायता प्रदान करते है.

अपरिमेय संख्या किसे कहते है?

परिभाषा: वैसी वास्तिक संख्याएँ जिसे p/q के रूप नही लिखा जा सके, उसे अपरिमेय संख्या कहते है. अर्थात, वैसी संख्याएँ जिसे पूर्णांक के अनुपात के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. साथ ही अंश और हर के रूप में भी व्यक्त नही किया जा सकता है. वह अपरिमेय संख्या कहलाता है.

प्रमेय (Theorem) के अनुसार एक Aparimey Sankhya का दसमलव विस्तार न समाप्त होता है और न ही आवर्त होता है. अपरिमेय संख्याओं के बिच धनात्मक या ऋणात्मक चिन्हों का प्रयोग कर उसे अंश और हर के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. जैसे; (√2 – √3) / √5

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अपरिमेय संख्या कैसे पहचाने

वैसी संख्या जो p / q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0 को अपरिमेय संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है. जैसे; √2, √5, √7 आदि.

जब कोई संख्या जो p / q के रूप में हो, p और q पूर्णांक हो. q ≠ 0 को एक अपरिमेय संख्या कहा जाता है. अपरिमेय संख्या हमेशा ( √ ) के रूप में होता है जिसका वर्गमूल नही निकलता है.

अपरिमेय संख्या का सिंबल

आमतौर पर अपरिमेय को व्यक्त करने के लिए “P” का प्रयोग किया जाता है. इसे प्रमेय के माध्यम से सिद्ध किया जा चूका है जिसका अध्ययन क्लास 11th और 12th में कराया जाता है.

इसका उपयोग किसी अन्य संख्या के ऋणात्मक गणितीय चिन्ह के साथ किया जाता है. जैसे; R – P, जहा R = वास्तविक संख्या तथा P = अपरिमेय संख्या आदि.

अपरिमेय संख्या का लिस्ट

गणितीय संख्या में कई ऐसे संख्या है जो सदैव अपरिमेय संख्या होते है. जैसे; π, √2 आदि. लेकिन सभी Aparimey Sankhya नही होते है. इसलिए, यहाँ वैसे संख्याओं को चिन्हित किया गया है जो अपरिमेय है.

π (पाई)3.141592653…..
e (Euler’s Number)2.71828182……
φ (Golden ratio)1.61803398
√2, √3, √5, √7, √8मान ज्ञात किया जा सकता है

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अपरिमेय संख्या का गुणधर्म

यह संख्या वास्तविक संख्या का सबसेट है इसलिए, यह वास्तविक संख्या प्रणाली के सभी नियम को मनाता है. जो इस प्रकार है.

  • परिमेय और अपरिमेय संख्या का योग हमेशा अपरिमेय संख्या होता है.
  • दो अपरिमेय संख्याओं का गुणनफल परिमेय और अपरिमेय संख्या दोनों हो सकता है.
  • एक से अधिक अपरिमेय संख्या का लघुतम परिमेय या अपरिमेय हो सकता है.
  • दो अपरिमेय संख्या का गुणनफल परिमेय या अपरिमेय हो सकता है.

अक्शर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs

1. अपरिमेय संख्या क्या है?

उत्तर:- अपरिमेय संख्या वह वास्तविक संख्या है जो परिमेय संख्या के रूप में व्यवस्थित नहीं होता है, अर्थात् जिसे p /q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. वह अपरिमेय संख्या कहलाता है.

2. क्या π (पाई) एक अपरिमेय संख्या है

उत्तर:- π एक गणितीय नियतांक है जिसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबरकर ज्ञात किया जाता है. हालांकि, अभी तक इसका संख्यात्मक मान अभी तक ज्ञात नही है. इसीलिए, इसे एक अपरिमेय संख्या माना जाता है.

3. अपरिमेय संख्या कौन-कौन सी है?

उत्तर:- वैसे अपरिमेय संख्या अनंत होती है लेकिन पहचान के लिए बता दे कि कुछ ऐसी संख्या है जो अपरिमेय संख्या ही होती है. जैसे; √2, √3, √5, π, φ आदि.

4. अपरिमेय संख्या के उदाहरण?

उत्तर:- √2, √3, √5, π, φ आदि संख्याएँ अपरिमेय संख्या के उदाहरण है क्योंकि, इसे p/q के रूप में निरुपित नही किया जा सकता है. अर्थात, ऐसी कोई भी संख्या जो परिमेय न हो वह अपरिमेय संख्या कहलाता है.

5. क्या जीरो अपरिमेय संख्या है?

शून्य (0) एक अपरिमेय संख्या है. क्योकि जब कोई संख्या p / q के रूप में हो, और p/q पूर्णांक हो. तो q ≠ 0 को एक अपरिमेय संख्या कहा जाता है.

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