परिमेय संख्या की परिभाषा, गुण एवं उदाहरण -Parimey Sankhya

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हमेशा परिमेय संख्याओं को p / q के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहाँ q शून्य के बराबर कभी नहीं होता है. यह एक संख्या पद्धति का रूप है, जिसमे q = 0 नही होता है. Parimey Sankhya का प्रयोग क्लास 6th, 7th, 8th, 9th, 10th और 12th में प्रश्नों को हल करने के लिए किया जाता है. इससे क्लास 10th में प्रश्न भी पूछे जाते है.

गणितीय संख्या को जाँच करने एवं दसमलव स्वरुप में बदलने के लिए Parimey Sankhya के रूल्स के विषय में जानकारी अनिवार्य है. क्योंकि यह शांत और असांत प्रक्रियाओं पर निर्भर होता है. साथ ही, किसी संख्या रेखा पर परिमेय संख्याओं को दर्शाने के लिए उसे दशमलव रूप में सरलीकृत करना होता है.

यहाँ Rational Numbers से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्य उपलब्ध है जो गणित की तैयारी करने में बेहद सहायक सिद्ध होते है.

परिमेय संख्या किसे कहते है?

वैसी वास्तविक संख्याएँ जो p / q के लघुतम स्वरुप में व्यवस्थित हो, जहा p और q पूर्णांक होने के साथ साथ q शून्य के बराबर न हो, उसे परिमेय संख्या कहा जाता है.

अर्थात, हर और अंश के रूप में लिखी जाने वाली सभी संख्याएँ परिमेय संख्या कहलाती है. जहाँ केवल हर शून्य के बराबर न हो. स्पष्ट शब्दों में, एक पूर्णांक संख्या को दूसरे पूर्णांक से भाग देने के उपरांत जो संख्या प्राप्त होती है, उसे परिमेय संख्या कहते है.

दुसरें शब्दों में, वैसी संख्या जो p / q के रूप में लिखी जा सके, जहाँ p और q पूर्णांक हो तथा q ≠ 0 हो, उसे परिमेय संख्या कहते है.

जैसे; 1/2, 2/3, 3/4 आदि.

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परिमेय संख्या कैसे पहचाने

गणित में परिमेय संख्या की पहचान करने की कुछ विशेष स्थति है, जिसका अनुमान केवल इसके परिभाषा को स्मरण करके ही किया जा सकता है. लेकिन यहाँ Rational Numbers की पहचान करने की विधि उपलब्ध है. जो इस प्रकार है.

  • संख्याएँ जो p / q के रूप में हो, जहाँ q ≠ 0 हो.
  • p / q के रूप वाले संख्याओं को हल करने पर दसमलव में संख्या प्राप्त हो.
  • भिन्न भी परिमेय संख्या होता है.

जैसे; 4/5, 5/6, 6/7, 2.1, 3.123, 10.121 आदि.

धनात्मक एवं ऋणात्मक परिमेय संख्याएँ

परिभाषा के अनुसार परिमेय संख्या p / q के रूप की होती है जहाँ p / q दोनों पूर्णांक होते है, जिसमे q हमेशा शून्य के बराबर नही होता है. तथ्यों के मध्यनज परिमेय संख्या धनात्मक और ऋणात्मक हो सकते है. संख्याएँ धनात्मक परिमेय होगा यदि और केवल यदि (+p / +q ) हो. ऋणात्मक परिमेय होगा यदि और केवल यदि – ( p / q ) हो.

धनात्मक परिमेयऋणात्मक परिमेय
अंश और हर दोनों बराबर चिन्ह के हो. अर्थात (p / -q ) या (+p / +q ) हो, तो वह धनात्मक परिमेय होगा.यदि अंश और हर दोनों एक दुसरें के विपरीत चिन्ह के हो. अर्थात, -(p/q) = (-p)/q = p/(-q), तो वह ऋणात्मक परिमेय होगा.
धनात्मक परिमेय हमेशा शून्य से बड़ा होता है.ऋणात्मक परिमेय हमेशा शून्य से छोटा होता है.
जैसे; 4/5, 5/6, 6/7, 2.1, 3.123जैसे; 4/-5, -5/6, 6/-7, -2.1, -3.123

परिमेय संख्या के गुणधर्म

चूंकि Parimey Sankhya वास्तविक संख्या का एक भाग है, इसलिए परिमेय संख्या वास्तविक संख्या प्रणाली के सभी गुणों का पालन करता है. इसके अलावा भी कुछ गुण है जो निचे अंकित है.

  • परिमेय संख्याओं को संख्या रेखा पर पूर्णांक की तरह ही निरूपित किया जा सकता है.
  • यदि दो परिमेय संख्याओं को जोड़, घटाव, गुना या भाग किया जाए, तो हमेशा परिमेय संख्या ही प्राप्त होता है.
  • परिमेय संख्या के अंश और हर में बराबर संख्या से गुना या भाग किया जाए, तो परिमेय संख्या ही प्राप्त होगा.
  • परिमेय संख्याओं का योगफल और गुणनफल की संक्रियाएँ क्रमविनिमेय साहचर्य होती है.

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पूछे जाने वाले समान्य प्रश्न FAQs

1. परिमेय संख्या क्या है?

उत्तर; यदि किसी दो संख्याओं को अंश और हर के रूप में व्यक्त किया जाता है, तो वह परिमेय संख्या कहलाता है. जहाँ p और q पूर्णांक हो तथा q ≠ 0 हो.

2. दो परिमेय संख्याओं के बीच कितने परिमेय संख्या होते हैं?

उत्तर; परिमेय संख्या ज्ञात करने का सूत्र (a + b)/2 होता है. अर्थात, दोनों संख्याओं का योग / भागा 2. इस तथ्य के अनुसार दो परिमेय संख्याओं के बिच अनंत संख्याएँ होती है.

3. क्या 2 परिमेय संख्या है?

उत्तर; हाँ, 2 एक परिमेय संख्या है क्योंकि, 2 को अंश और हर के रूप में लिखा जा सकता है. जैसे; 2/1.

4. परिमेय संख्या कौन सी नहीं होती है?

उत्तर; वह संख्या जो p/q के रूप में नही होती है. अर्थात वैसी संख्या जिसे अंश और हर के रूप में नही लिखा जा सकता है. जैसे; √3, 2.12…..

5. क्या शून्य एक परिमेय संख्या है?

उत्तर; हाँ, शून्य एक परिमेय संख्या है क्योंकि इसे p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता सकता है. जहाँ q ≠ 0 होगा. जैसे; 0/1

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